History of mughalsarai railway station मुगलसराय रेलवे स्टेशन का इतिहास

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History of mughalsarai railway station

दोस्तों इस पोस्ट मे हम जानेंगे History of mughalsarai railway station और उससे जुड़ी कुछ amazing fact को |

History of mughalsarai railway station

History of mughalsarai railway station

दोस्तों मुगलसराय जहां पर सराय का मतलब है रहने का स्थान यानि कि यहाँ नाम से ही पता चलता है मुगलसराय का मतलब मुगलों के रहने का स्थान |

ब्रिटिश के शासन कल मे पूर्वी इंडियन रेलवे कंपनी ने हावड़ा से दिल्ली जाने के लिए 1862 मे रेलवे लाइन का विस्तार किया जहां पर यह रेलवे स्टेशन एक प्रकार का हब बना

क्योंकि यहाँ पर मुगलों का जमावड़ा लगा राहत था इसलिए इसका नाम मुगलसराय रेलवे स्टेशन दिया गया

वर्तमान मे यह रेलवे स्टेशन east central railway के द्वारा ऑपरैट कि जाती है यहाँ से –

  • हावड़ा दिल्ली मेन लाइन 
  • हावड़ा गया दिल्ली लाइन 
  • हावड़ा इलाहाबाद मुंबई लाइन 
  • गया मुगलसराय सेक्शन 
  • मुगलसराय कानपुर सेक्शन 
  • ग्रांड कॉर्ड लाइन 
  • पटना मुगलसराय सेक्शन 
  • मुगलसराय वाराणसी सेक्शन

कि लाइनें गुजरती हैं इसीलिए यश रेलवे स्टेशन भारत के सातवें सबसे व्यस्तम रेलवे स्टेशन मे से एक माना जाता है |इस रेलवे रेलवे स्टेशन पर 8 प्लेटफॉर्म है जहां से 3 लाख यात्री डेली यात्रा करते हैं |

इसे भी पढ़ें- WAP4 का निर्माण क्यों बंद किया गया?

मुगलसराय रेलवे स्टेशन कि कुछ दिलचस्प बातें 

  • मुगलसराय रेलवे स्टेशन एक ऐसा स्टेशन है जहां रात 12 बजे के बीच सभी प्लेटफ़ॉर्म पर आपको एक एक राजधानी ट्रेन देखने को मिल जाएगी
  • सन 1961 ईस्वी मे इस रूट को electrified कर दिया गया था
  • मुगलसराय रेकवे स्टेशन पर एसिया महादेश का सबसे बड़ा मार्शिलिंग यार्ड स्थित है

मार्शिलिंग यार्ड क्या होता है?

मार्शिलिंग यार्ड का मतलब होता है वह स्थान जहां रेल गाड़ी को पार्क करने कि सुविधा होती है | मुगलसराय का मार्शिलिंग यार्ड टोटल 12.5 km  के एरिया तक फैला हुआ है जिसमे 5000 वैगन डेली हैन्डल किए जाते हैं

History of mughalsarai railway station

दोस्तों 12.5 km  एरिया मे फैले इस मार्शलिंग यार्ड मे बिछाए गए रेलवे लाइन को अगर एक लाइन मे सीधा किए जाए तो वह 250 km लंबी लाइन बनेगी अतः इस तरह से आप अंदाज लगा सकते है कि यह मार्शिलिंग यार्ड एशिया का सबसे बड़ा यार्ड क्यों है

इतने बड़े यार्ड मे गाड़ियों को कैसे कंट्रोल किया जाता है?

दोस्तों इतने बड़े एरिया मे फैले इस यार्ड मे ट्रेनों को अकेला स्टेशन मास्टर कंट्रोल नहीं कर सकता इस लिए इस यार्ड मे ट्रेनों को कंट्रोल करने के लिए

10 ब्लॉक cabin और 11 यार्ड cabin बनाया गया है जहां पर ट्रेनों के मूवमेंट को कंट्रोल किया जाता है|

  • मुगलसराय रेलवे स्टेशन मे 19 वीं शताब्दी से ही विद्युत लोकोशेड और डीजल लोकोशेड कि स्थापना कि गई जहां पर WAM4, WAP4, WAG7, categoryके 150 लोकमोटिव को होल्ड किया जाता है
  • वही पर WDM2, WDM3A, WDS5, जैसे करीब 137 डीजल लोकमोटिव को रखने और मरम्मत करने कि छमता इस डीजल लोकोशेड के पास है
  • इंडियन रेलवे का longest wagon repair वर्क शॉप मुगलसराय मे ही स्थित है

दोस्तों इस तरह से देख सकते है कि मुगलसराय रेलवेत स्टेशन सारी खूबियों और उपाधियों को लेकर बैठा हुआ है

मुगलसराय रेलवे स्टेशन का नाम बदलकर पं दीनदयाल उपाध्याय क्यों किया गया?

दोस्तों 156 साल पुराने इस रेलवे स्टेशन का नाम बदलकर अब पं दीनदयाल उपाध्याय कर दिया गया -ऐसा कहा जाता है कि जन संघ के संस्थापक पं दीनदयाल उपाध्याय कि रहस्यमयी तरीके से मौत

11 फरवरी 1968 को मुगलसराय जं पर हुई जहां पोल नं 1276 के पास उनकी बॉडी मिली|

तब से बीजेपी के समर्थकों के लिए यह स्थान तीर्थ जैसा बन गया उसी समय से इस रेलवे स्टेशन के नाम बदलने कि मांग चल रही जिसे फाइनली अब बदल कर पं दीनदयाल उपाध्याय जं  कर दिया गया है|

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